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2023 माघ के गुप्त नवरात्र में श्री दुर्गा सप्तशती पाठ विधि इस प्रकार से करें –
साल में चार नवरात्र होते हैं, ये शायद बहुत कम लोगों को पता होता है। सर्वोत्तम माघ महिना की नवरात्री की मान्यता है। किन्तु क्रम इस प्रकार है – चैत्र, आषाढ़, आश्विन, और माघ। प्रायः “उत्तर भारत” में चैत्र एवं आश्विन की नवरात्री लोग विशेष धूम धाम से मानते हैं, किन्तु “दक्षिण भारत“ में आषाढ़ और माघ की नवरात्रियां विशेष प्रकार से लोग मनाते हैं। सच तो यह भी है, कि जिनको पता है ,वो चारो नवरात्रियों में विशेष पूजन इत्यादि करते हैं।
श्री दुर्गा सप्तशती पाठ विधि
दुर्गा सप्तशती पाठ— अद्भुत शक्तियां प्रदान करता है-
नवरात्री के दौरान माता को प्रसन्न करने के लिए साधक विभिन्न प्रकार के पूजन करते हैं जिनसे माता प्रसन्न उन्हें अद्भुत शक्तियां प्रदान करती हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का नियमित पाठ विधि विधान से किया जाए तो माता बहुत प्रसन्न होती हैं। दुर्गा सप्तशती में (700) सात सौ प्रयोग है, जो इस प्रकार है:-
मारण के 90, मोहन के 90, उच्चाटन के दो सौ (200), स्तंभन के दो सौ (200), विद्वेषण के साठ (60) और वशीकरण के साठ (60)। इसी कारण इसे सप्तशती कहा जाता है।
दुर्गा सप्तशती पाठ विधि-
- सर्वप्रथम साधक को स्नान कर शुद्ध हो जाना चाहिए।
- तत्पश्चात वह आसन शुद्धि की क्रिया कर आसन पर बैठ जाए।
- माथे पर अपनी पसंद के अनुसार भस्म, चंदन अथवा रोली लगा लें।
- शिखा बाँध लें, फिर पूर्वाभिमुख होकर चार बार आचमन करें।
- इसके बाद प्राणायाम करके गणेश आदि देवताओं एवं गुरुजनों को प्रणाम करें, फिर पवित्रेस्थो वैष्णव्यौ इत्यादि मन्त्र से कुश की पवित्री धारण करके हाथ में लाल फूल, अक्षत और जल लेकर देवी को अर्पित करें तथा मंत्रों से संकल्प लें।
- देवी का ध्यान करते हुए पंचोपचार विधि से पुस्तक की पूजा करें।
- फिर मूल नवार्ण मन्त्र से पीठ आदि में आधारशक्ति की स्थापना करके उसके ऊपर पुस्तक को विराजमान करें। इसके बाद शापोद्धार करना चाहिए।
- इसके बाद उत्कीलन मन्त्र का जाप किया जाता है। इसका जप आदि और अन्त में इक्कीस-इक्कीस बार होता है।
- इसके जप के पश्चात् मृतसंजीवनी विद्या का जाप करना चाहिए।
- तत्पश्चात पूरे ध्यान के साथ माता दुर्गा का स्मरण करते हुए दुर्गा सप्तशती पाठ करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएँ पूरी हो जाती हैं।
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